एक धनवान के अंतिम आत्म-अनुभव

Aug 12, 2023 - 09:08
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एक धनवान के अंतिम आत्म-अनुभव
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एक धनवान के अंतिम आत्म-अनुभव

अन्त समय सभी का आता है यह निश्चित है इसलिये धन हमारे जीवन में सही साधन से आये न की किसी को किंचित मात्र तकलीफ़ देकर या अपने स्वास्थ्य की उपेक्षा करके आदि से । साथ मैं एक बात मैं और कहूँगा कि धन हो हमारे पास पर उसे इस तरह हम हावी नहीं होने दे कि अंदर की मानवता को ही वह नहीं मार दे । धन साधन हो सकता है लेकिन मंजिल आत्मा कि आगे निश्चित है।

वर्तमान समय को देखें तो इंसान ने हर क्षेत्र में प्रगति खूब कर रहा है।संसार में कुछ धनाढ़्य व्यक्ति ऐसे भी हैं जिनकी दौलत उसकी आने वाली सौ पीढ़ी भी खर्च नहीं कर सकती।उन लोगों ने धन तो खूब अर्जित कर लिया और आगे भी कर रहे हैं।पर उनकी मानसिक शांति बहुत दूर जा रही है।उनके जीवन के हर दिन का हर मिनट किसी ना किसी काम के लिये बँटा हुआ है।

वो चाह कर भी अपना थोड़ा समय अपने मन की शांति के लिये नहीं निकाल सकता।क्या धन दौलत ही जीवन है।उतर मिलेगा-नहीं। जब इंसान प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है तो वो फिर पीछे लोट नहीं सकता।वो दो कदम और आगे बढ़ने की सोचेगा तब कुछ और प्रगति कर पायेगा।यह भी बात सत्य है कि हर अविष्कार के पीछे कुछ ना कुछ नुक़सान ज़रूर होता है।

जैसे परमाणु बंब का अविष्कार,मोटर वाहन का प्रयोग,घर में हर काम मशीन से करना और जिस फेक्टरी में हज़ारों वर्कर क़ार्य करते थे उसमें कम्प्यूटर युग ने कुछ लोगों तक सीमित कर दिया।इसलिये मेरा मत तो यह है कि प्रगति करनी है तो मुद्रा का प्रयोग करना भी अति अनिवार्य है।पर इंसान को अपनी मन की शांति रखनी है तो वो उस इंसान के ऊपर निर्भर करता है कि मुझे अपनी लाइफ़ बेलेंस कैसे बनानी हैं । इस प्रकार किसी धनवान के अंत समय के विचार जो कि वास्तव में सुविचार है ।

वह बोल रहा है आज मैं समझ रहा हूँ कि धन ही अपने आपमें सब कुछ नहीं है। अब इस अंतिम घड़ी में यह बात मेरे मन ने बार-बार कही है। प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )

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