स्वाध्याय दिवस

Sep 13, 2023 - 08:51
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स्वाध्याय दिवस
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स्वाध्याय दिवस

दुःखमुक्ति के लिये आज आत्मज्ञान के अतिरिक्त कोई दूसरी शाखा नहीं है । इसलिये स्वाध्याय को हम एक विशेष अर्थ में ले । स्वाध्याय वह है जिसके द्वारा हमें आत्मा का ज्ञान हों । अपने स्वभाव का ज्ञान हो । एक आदमी क्रोध करता है । यदि थोड़ा भी आत्मज्ञान उसके पास है तो वह सोचेगा कि क्रोध करना मेरा स्वभाव नहीं है ।

अहंकार मेरा स्वभाव नहीं है । आकांक्षा, लोभ और तृष्णा मेरा स्वभाव नहीं है । मेरा स्वभाव है आत्मज्ञान । मैं अपने स्वभाव से हटूँगा तो समस्या पैदा होगी । अभ्यास करूँ अधिक से अधिक अपने स्वभाव में रहने का यह उसका चिंतन होगा । क्षमा भी हमारा स्वभाव नहीं है । क्रोध का प्रतिपक्ष है । इसलिये उसे स्वभाव मान लिया जाता है ।

जहाँ शुद्ध चेतना है , वहाँ न क्रोध है , न ईर्ष्या है और न लोभ , न क्षमा ।शुद्धचेतना जहाँ हैं , वहाँ न कोई अहंकार है , न क्षमा है ।वहाँ न कोई लोभ है , न संतोष है । ये सारे द्वंद तो अशुद्ध चेतना के कारण बनते है कि उसे लाओ और उसे मिटाओ । किंतु जब स्वभाव प्राप्त होता है तब ये सारी बातें समाप्त हो जाती है । वहाँ सिर्फ़ यही होता है कि मेरा स्वभाव है ज्ञान , चरित्र , निर्मोहता , वीतरागता ।

जो स्वभाव में रमण करता है , वह अत्यंत सुखी हो सकता है । जीवन का संजीवन है स्वाध्याय ।स्वाध्याय आत्मा की खुराक है जो तन ही नही मन को भी स्वस्थ रखती है ।जीवन के निर्माण और जीवन के सुधार में पुस्तक एक मार्गदर्शक का कार्य करती है ।हमेशा कुछ ना कुछ पढ़ना , उस पर मनन करना , उस पर चिंतन करना , उसी का श्रवण करना तथा उस पर अमल करना ही स्वाध्याय है ।

 स्वाध्याय का जीवन निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है। स्वाध्याय से व्यक्ति का जीवन, व्यवहार, सोच और स्वभाव आदि बदलने लगता है। प्रदीप छाजेड़ ( बोंरावड़ )

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